ट्रांसफार्मर(Transformer) क्या हैं और किस तरह से काम करता हैं ?

Tranformer :-


यह एक स्थैतिक प्रत्यावर्ती(alternative) वैधुत साधन है जो सामन आवृत्ति(frequency) पर वैधुत(electric) चुम्बकीय(magnetic) प्रेरण सिद्धांत के अनुसार, न्यू वोल्टेज की वैधुत शक्ति को उच्च वोल्टेज की वैधुत शक्ति मे या उच्च वोल्टेज की वैधुत शक्ति को न्यू वोल्टेज की वैधुत शक्ति मे, एक परिपथ(circuit) से दूसरे परिपथ मे transfer करता है, ट्रांसफार्मर कहलाता है|


उत्क्रम परिणामित्र(Step up transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जो न्यू प्रत्यावर्ती(alternative) वोल्टेज को उच्च प्रत्यावर्ती(alternative) वोल्टेज मे परिवर्तित करता है|

अवक्रम परिणामित्र(Step down transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जो उच्च प्रत्यावर्ती(alternative) वोल्टेज को न्यू प्रत्यावर्ती(alternative) वोल्टेज मे परिवर्तित करता है|

शक्ति परिणामित्र (Power transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिसका use वैधुत शक्ति प्रणाली मे स्टेशन एवं सबस्टेशनों पर होता है| शक्ति परिणामित्र दो प्रकार के होते है-

(1)संचरण परिणामित्र(Transmission transformer)
(2)वितरण परिणामित्र(Distribution transformer)

औधोगिक परिणामित्र(Industrial transformer)

वह पॉवर ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग औधोगिक क्षेत्र मे होता है, जैसे वेल्डिंग ट्रांसफार्मर |

लघु परिणामित्र(Small transformer)

वह सिंगल फेज ट्रांसफार्मर, जिसकी capacity 1KVA(kilo volt ampere) या इस से कम होती है, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफार्मर, इंस्ट्रूमेंटेशन ट्रांसफार्मर आदि |

इलेक्ट्रॉनिक परिणामित्र(Electronics transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग मे होता है|

संचार परिणामित्र(Communication transformer) 

वह ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र मे होता है|

स्थिर वोल्टता परिणामित्र(Constant voltage transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिससे स्थायी वोल्टेज प्राप्त होती है|

उपयंत्र परिणामित्र(Instrument transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग वैधुत मापन यंत्र प्रणाली मे धारा परिणामित्र(c.t) अथवा विभव परिणामित्र(p.t) की तरह होता है, इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर कहलाता है|

भट्टी परिणामित्र(Furnance transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग भट्टी को विधुत-प्रदाय प्रदान करने होता है, furnance transformer कहलाता है, जैसे आर्क furnace ट्रांसफार्मर, इंडक्शन furnace ट्रांसफार्मर आदि |

वेल्डिंग परिणामित्र(Welding transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जिसका प्रयोग इलेक्ट्रिक वेल्डिंग के लिए होता है, वेल्डिंग ट्रांसफार्मर कहलाता है|

अभिवर्धक परिणामित्र(Booster transformer) 

वैधुत शक्ति प्रणाली की अधिक लम्बी संचरण लाइनों मे वोल्टेज की आपूर्ति(compensate) करने के लिए प्रयुक्त ट्रांसफार्मर को बूस्टर ट्रांसफार्मर कहते है| इस ट्रांसफार्मर की secondary winding को संचरण लाइन की सीरीज़ मे संयोजित किया जाता है|

स्व: परिणामित्र(Auto transformer)


यह एक प्रकार का परिवर्तनीय परिणामित्र है, जिसमे केवल एक winding होती है, जो प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों winding का कार्य करती है| इस प्रकार कॉमन वाइंडिंग वाले परिणामित्र को स्व: परिणामित्र कहते है|

प्रवर्तक परिणामित्र(Starter transformer)

वह परिणामित्र, जो ac मोटर के लिए स्टार्टर का कार्य करती है, स्टार्टर ट्रांसफार्मर कहलाता है|

वोल्टेज नियमन परिणामित्र(Voltage regulating transformer)

वह ट्रांसफार्मर, जो वोल्टेज रेगुलेशन का कार्य करता है, वोल्टेज regulating ट्रांसफार्मर कहलाता है|   


परिणामित्र की शब्दावली

प्राथमिक पक्ष(Primary side)

ट्रांसफार्मर के सप्लाई साइड को प्राथमिक पक्ष अर्थात प्राइमरी साइड कहते है|

द्वितीयक पक्ष(Secondary side)


ट्रांसफार्मर के भार पक्ष(load side) को secondary side कहते है|

प्राथमिक कुण्डलन(Primary winding)


सप्लाई साइड वाइंडिंग को प्राइमरी वाइंडिंग कहते है|

द्वितीयक कुण्डलन (Secondary winding)


भार पक्ष की वाइंडिंग को सेकेंडरी वाइंडिंग कहते है|

प्राथमिक वोल्टेज(Primary voltage)


सप्लाई वोल्टेज को प्राइमरी वोल्टेज कहते है| इसे Vप्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते है|


द्वितीयक वोल्टेज(Secondary Voltage)


भार वोल्टेज को सेकेंडरी वोल्टेज कहते है| इसे V2  प्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते है|

प्राथमिक धारा(Primary current)

प्राइमरी वाइंडिंग मे बहनें वाली धारा को प्राइमरी करंट कहते है| इसे Iप्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते है|


द्वितीयक  करंट(Secondary current)


सेकेंडरी वाइंडिंग मे बहने वाली धारा को सेकेंडरी करंट कहते है| इसे I2  प्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते है|

पारस्परिक फ्लक्स(Mutual flux)


दो वाइंडिंग के कॉमन फ्लक्स को पारस्परिक फ्लक्स कह्ते है| इसे ∅ प्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते है|

क्रोड(Core) 


इसका तात्पर्य आंतरिक अंग(Internal part) से है|

ट्रांसफार्मर का कार्य-सिद्धांत(Transformer working principle)

ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत समझने के लिए एक आदर्श ट्रांसफार्मर की कल्पना की जाती है, जिसकी दक्षता शत प्रतिशत होती है, जिसमे शक्ति-हानियाँ(power loss) जीरो होती है| यह तभी हो सकता है, जब ट्रांसफार्मर की दोनों वाइंडिंग का प्रतिरोध जीरो हो और ट्रांसफार्मर मे क्रोड हानियाँ तथा फ्लक्स क्षरण(leakage) जीरो हो |
                                                                  
ट्रांसफार्मर, Transformer, Transformer working principle
ऐसे ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग मे, जब प्रत्यावर्ती(alternative) सप्लाई  दी जाती है, तो इसमें प्रत्यावर्ती धारा
प्रवाहित(flow) होती है, जिसके कारण लोह क्रोड मे समान प्रक्रति का प्रत्यावर्ती फ्लक्स उत्पन्न होता है, जो लोह 
क्रोड से दोनों वाइंडिंग से सम्पर्क करता है, फैराडे के नियम के अनुसार, इससे प्राइमरी वाइंडिंग मे स्व प्रेरित विधुत वाहक बल (self induced electric motion force) उत्पन्न होता है, जो प्रत्यावर्ती सप्लाई  का विरोध करता है, इसलिए इसे ट्रांसफार्मर का स्थैतिक विरोधी विधुत वाहक बल(static back emf) भी कहते है| यह प्राइमरी वाइंडिंग मे प्रत्यावर्ती धारा की मात्रा को सीमीत करता है| इसे E1 से व्यक्त करत है|

E1(self)= -Nd∅ /dt


इसी प्रकार फैराडे के नियम के अनुसार ही, इन्ही पारस्परिक फ्लक्स से ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग मे पारस्परिक विधुत वाहक बल(mutual induced emf) उत्पन्न होता है| यह भी प्रत्यावर्ती सप्लाई वोल्टेज का विरोध करता है, इसलिए इसे पारस्परिक विरोधी विधुत वाहक बल कहते है| इसे E2 से व्यक्त करते है| 

E2(mutual) = -Nd∅ /dt


समी(2) को समी(1) से भाग देने पर प्राप्त परिणाम

E2/E1 = N2/N1 = K(transformation ratio)


जब N2>N1 होगा, तब E2 > E1 भी होगा | इस अवस्था मे ट्रांसफार्मर को स्टेप-अप ट्रांसफार्मर(Step-up transformer) कहते है|

जब N2<N1 होगा, तब E2< E1भी होगा | इस अवस्था मे ट्रांसफार्मर को स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर(Step-down-transfer कहते है|




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